नरेश मीणा: अंता विधानसभा की जन-आवाज़ और मानवाधिकारों के सशक्त प्रतीक
राजस्थान की राजनीति में अंता 12 विधानसभा सीट इन दिनों चर्चा में है। यहाँ से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने चुनाव मैदान में उतरकर न केवल स्थानीय राजनीति को नई दिशा दी है, बल्कि जनता के अधिकारों और सम्मान की आवाज़ को भी सशक्त किया है।
उनका राजनीतिक सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। कई बार टिकट न मिलने के बावजूद उन्होंने जनता का साथ नहीं छोड़ा। नरेश मीणा का मानना है कि सत्ता केवल कुर्सी का नाम नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है। वर्षों से वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के मुद्दों पर सक्रिय हैं।
2025 के अंता उपचुनाव में उनका लक्ष्य केवल जीत नहीं, बल्कि जन-अधिकारों और सामाजिक न्याय की भावना को स्थापित करना है। वे कहते हैं — “अगर व्यवस्था सुनती नहीं, तो जनता को बोलना सिखाना ज़रूरी है।”
अंता क्षेत्र में मीणा, माली और अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा रही है। नरेश मीणा का प्रयास है कि हर समुदाय को बराबर सम्मान और अवसर मिले।
उनकी चुनावी रणनीति भी बेहद सरल है — घर-घर संपर्क, सच्चे संवाद और सोशल मीडिया पर पारदर्शिता। लोग उन्हें “जनता का उम्मीदवार” कहकर पुकारते हैं।
मानवाधिकारों के मुद्दों पर भी नरेश मीणा ने कई बार प्रशासन को जवाबदेह ठहराया है। ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी, शिक्षा में असमानता और सरकारी योजनाओं की अनदेखी – इन सब पर उन्होंने खुलकर आवाज़ उठाई है।
“सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन इंसाफ़ और मानवता की लड़ाई कभी खत्म नहीं होनी चाहिए।”
यह उपचुनाव केवल राजनीति नहीं बल्कि जन-सम्मान और अधिकारों की लड़ाई बन चुका है।
“अबकी बार जनता की सरकार, जनता के उम्मीदवार के साथ।”

